औरतें - खुशवंत सिंह Auraten (Hindi Translation of The Company of Women) By Khushwant Singh साहित्यिक" दृष्टि से यह उपन्यास चौकाने वाला ही कहा जाएगा । लेकिन है यह बहुत ज्यादा पठनीय-पाठक इसके पुष्ट उतटता ही चला जाएगा । यह एक ऐसे अकेले, भले आदमी की कहानी है जो सैक्स की तलाश में भटक रहा है । इस दृष्टी से उपन्यास बहुत सफल है । आश्चर्य ही होता है कि प्रतिभाशाली लेखकों से भरे इस देश में सेक्स का यथार्थ विवश करने के लिए एक ८५ - वर्षीय लेखक की ही जागे आना पडा । खुशवन्त सिंह ने अनेक धर्मों ईसाई, मुस्लिम, हिन्दू, बोद्ध और सिख-की स्त्रीयों' से नायक मोहनकुमार का सम्बन्थ कराया है-और अन्त में यह उपन्यास एक उदासी छोड़ जाता है।