दो कदम और सही - राहत इंदौरी
Do Kadam Aur Sahi (Hindi Numainda Shayari) By Rahat Indori
रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता है चाँद पागल है, अँधेरे में निकल पड़ता है उसकी याद आई है साँसों ज़रा आहिस्ता चलो धड़कनो से भी इबादत में खलल पड़ता है