Health Insurance Kyon Aur Kaise by Gyansundaram Krishnamurthy आज अधिकांश लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत और जागरूक हैं, इसलिए अपना हैल्थ इंश्योरेंस तथा लाइफ इंश्योरेंस करवाते हैं। ये बीमा लेने के लिए सीमित व्यक्ति को बीमा कंपनी के साथ एक करार करना होता है, जो लंबा-चौड़ा होता है और बीमित व्यक्ति उसकी शर्तों से पूरी तरह परिचित नहीं हो पाता। इसलिए बहुत से स्वास्थ्य बीमा पॉलिसीधारक बीमार पड़ने या अस्पताल में भरती होने पर अपनी पॉलिसी से लाभ उठाने में असफल रहते हैं। इसके अनेक कारण हैं, जैसे—बहुत सी बीमारियों का शामिल न किया जाना, शर्तों का थोपा जाना, कुप्रशासन, प्रशासकों या बीमा कंपनियों का तानाशाही रवैया या गैर-सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण। शिकायत-निष्पादन व्यवस्था ही ऐसे पॉलिसीधारकों की एकमात्र उम्मीद रह जाती है, जिसका प्रावधान शासकीय एवं निजी बीमा कंपनियों द्वारा रखा गया है—अर्द्ध-न्यायिक एवं न्यायिक फोरम के रूप में। इस पुस्तक का उद्देश्य स्वास्थ्य बीमा पॉलिसीधारकों का पथ-प्रदर्शन करना, उन्हें इस व्यवस्था की जटिलताओं को समझने में मदद करना (विशेषकर समय-समय पर अदालतों द्वारा दिए गए निर्णयों के संदर्भ में) और बीमाकर्ता के विरुद्ध उनके दावों की प्रक्रिया में मदद करना है। हैल्थ इंश्योरेंस के सभी पक्षों से परिचित कराती प्रैक्टिकल हैंडबुक। ज्ञानसुंदरम कृष्णमूर्ति तमिल साहित्य में स्नातकोत्तर हैं। सन् 1962 में भारतीय जीवन बीमा निगम में कनिष्ठ अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएँ प्रारंभ; सन् 2000 में सेवानिवृत्ति से पूर्व तीन वर्षों तक इसके अध्यक्ष रहे। अपने अध्यक्षीय काल भारतीय साधारण बीमा निगम, यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया, नेशनल हाउसिंग बैंक और आई.सी.आई.सी.आई. के बोर्ड में जीवन बीमा निगम का प्रतिनिधित्व किया। श्री कृष्णमूर्ति की नियुक्ति तीन वर्षों के लिए मुंबई और गोवा के बीमा लोकपाल के रूप में हुई। बीमा कंपनियों और दावाकर्ताओं के बीच उपजे सैकड़ों बीमा विवादों में उन्हें सलाहकार, मध्यस्थ एवं न्याय-निर्णायक के रूप में कार्य करने का अवसर मिला। जीवन बीमा निगम में एक अधिकारी और बीमा लोकपाल के रूप में उन्हें जो अनुभव व अंतर्दृष्टि प्राप्त हुई, उसने उन्हें इस पुस्तक में पॉलिसीधारकों के ऊपर विपरीत प्रभाव डालनेवाले कई विषयों को पहचानने के लिए प्रेरित किया और जीवन बीमा पॉलिसीधारकों के ध्यान देने के लिए वे इन्हें आगे भी लाए। इस पुस्तक में उन्होंने जीवन बीमा पॉलिसीधारकों के अधिकार एवं दायित्व तथा बीमा के कानूनी पहलुओं को भी स्पष्ट किया है।