Rajyog (Adhyatmik) By Swami Vivekanand
राजयोग - स्वामी विवेकानंद भारत वर्ष में जितने वेदमतानुयायी दर्शनशास्त्र है,उन सबका एक ही लक्ष्य है,और वह है - पूर्णता प्राप्त करके आत्मा को मुक्त कर लेना । इसका उपाय है योग। 'योग' शब्द बहुभावव्यापी है। सांख्य और वेदांत उभय मत किसी-न-किसी प्रकार से योग का समर्थन करते है । पातज़्ज़लसूत्र राजयोग का शास्त्र है और राजयोग पर सर्वोच्च प्रामाणिक ग्रन्थ है। स्वामी विवेकानंद ने न्यूयॉर्क में कुछ छात्रों को इस योग की शिक्षा देने के लिए जो व्याख्यान दिए थे,वे ही इस पुस्तक के प्रथम अंश में है और इसके दूसरे अंश में पतंजलि के सूत्र है ।