Subah Ka Bhula (Kahani Sangrah) By Ramakant Tamrakar
सुबह का भूला - रमाकान्त ताम्रकार
आज के समय की आपाधापी और जीवन की जटिलता ने समाज को अत्याधिक प्रभावित किया है । 'सुबह का भूला' शीर्षक कहानी बाजारवाद में युवाओं के शोषण के संघर्ष पर आधारित है, 'अहसास' प्रेम सम्बन्धो पर जातिगत आदर्शवाद, 'धरती का बोझ' जीवन मूल्यों में स्मृति को निर्वाह करता आदि मूल्यों के भटकाव और समाज के केनवास पर विभिन्न रंग उकेरती कहानियां है ।