Ek Gadhe Ki Aatmakatha By Krushna Chandar
एक गधे की आत्मकथा - कृश्न चन्दर
कृश्व चंदर गधे को साधन बनाकर अपनी बात कहने में माहिर हैं। समाज में फैली विषमताओं पर एक और बेबाक व्यंग्य... यह एक गधे की आत्मकथा है। यह बात दूसरी है की ऐसे लिखा है कृश्न चन्दर ने। दरअसल कृश्न चन्दर ने एक गधे के माधयम से वर्तमान समाज - व्यवस्था और लोगो की मनोवृत्तियों पर गहरा प्रहार किया है। उनका व्यंग्य पौना, तीखा और कचोटने वाला है।
'एक गधे की वापसी' के दूसरे खंड में गधे ने जहा बड़े-बड़े नेताओ से भेट की, वही वे सेठ-साहूकारों के संपर्क में भी आए। परन्तु यह तो मानना ही पड़ेगा की गधा बेदिल नहीं होता। इसके तीसरे खंड एक गधा नेफा में कृश्न चन्दर ने अपने गधे को शहेर में नहीं घुमाया, वरन उसे पहाड़ो की सबसे उची चोटियों पर ले गए। नेफा जहा भारत ने चीन के मक्कारी से भरपूर कारनामे देखे। अपनी बेजोड़ व्यंग्य शैली में लेखक ने चीन के नेताओ को भी नहीं बख्शा औए उनकी चालबाजी को बेनकाब किया