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Jhini-Jhini Re Bini Prithvi Chadariya
Sirshri
Author Sirshri
Publisher Pustak Mahal
ISBN 9788122311259
No. Of Pages 190
Edition 2010
Format Paperback
Language Hindi
Price रु 96.00
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Description

Jhini-Jhini Re Bini Prithvi Chadariya

 

झीनी-झीनी रे बीनी पृथ्‍वी चद​रिया कौए नहीं, हंस बनकर कबीर का जीवन जीओ

कबीर ने शरीर को माटी की मूरत और कांचा कुंभ यानी कच्‍चा घड़ा कहा था। यानी यह माटी की मूरत या कांचा कुंभ एक धक्‍के से टूटकर ​मिट्टी में ​मिल जाएगा। सरश्री तेजपारखी मानव शरीर को पृथ्‍वी चद​रिया कहते हैं और वे चद​रिया के झीनी-झीनी बीनने की बात समझाकर उसे जस की तस रखने पर जोर देते हैं। वे माया, मोह, लोभ, अहंकार, मत्‍सर जैसे कूड़े-कचरे को त्‍यागकर ​​निर्मल जीवन की प्रेरणा देते हैं।

तीन अध्‍यायों में ​​​विभा​जित इस किताब में कबीर के बचपन, जीवन जगत के कड़वे अनुभवों, सत्‍य के प्र​ति आग्रह, संवेदनशीलता, करुणा और संयमी जीवन के मूलगामी अर्थों तक पाठक को ले जाती है।

जैसे, कबीर जीवन के अनेक ​विराट अध्‍यायों को छूते हुए एक नए संसार के पटद्वार खोलते हैं, वैसे ही यह ​किताब पाठकों के ज्ञान चक्षुओं को खोलती है। इस पुस्‍तक को पढ़ते हुए कबीर और भा​विक पाठक के बीच का द्वैत समाप्‍त होकर वे एक सूत्र में बॅंध जाते हैं। कबीर के दोहों के नए-नए संदर्भों और अर्थों के कारण यह पुस्‍तक पाठक के भीतर सुप्‍त आध्‍या​त्मिकता की गहरी नदी में एक आलोड़न पैदा करती है।

 

About the Author(s)

 

सरश्री तेजपारखी एक आध्‍यात्मिक और सत्‍यान्‍नवेशी व्यक्तित्‍व के रूप में आज लाखों हृदय में अमिट स्‍थान रखते हैं। उन्‍होंने अनेक ध्‍यान पद्धतियों का अन्‍वेषण और अभ्‍यास किया। आज वे सत्‍य की एक महत्‍वपूर्ण मंजिल 'समझ' को प्रतिष्‍ठापित करने वाले एक मौलिक आध्‍यात्मिक व्‍यक्तित्‍व हैं। जीवन का रहस्‍य समझने के लिए उन्‍होंने लम्‍बी अव​​​धि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। ​जिसके अंत में उन्‍हें आत्‍मबोध हुआ। आत्‍मसाक्षात्‍कार के बाद उन्‍होंने जाना​ कि अध्‍यात्‍म का हर मार्ग ​जिस कड़ी से जुड़ा है] वह है & समझ ¼अंडरस्‍टै​न्‍डिंग½।

सरश्री कहते हैं कि 'सत्‍य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्‍त होती है।' 'समझ' ही सब कुछ है और यह 'समझ'अपने आपमें पूर्ण है। आध्‍यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए 'समझ' का श्रवण ही पर्याप्‍त है।

 

Subjects

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