Nyaya Ka Swaroop [Hindi Translation Of The Idea Of Justice]
न्याय का स्वरूप
अमर्त्य सेन
विश्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने अर्थशास्त्र को परंपरागत संकुचित दायरे के बाहर विकासशील देशों की समस्याओं, जैसे गरीबी की आर्थिक और सामाजिक समस्याओं के साथ जोड़ा है। उनकी प्रत्येक नई पुस्तक इसलिए चर्चा का केन्द्र बन जाती है क्योंकि वे अर्थशास्त्री की दृष्टि में सामाजिक समस्याओं पर नये ढंग से विचार करते हैं और नई संभावनाएं बनाते हैं। नोबल पुरस्कार से सम्मानित अमर्त्य सेन को अपनी इस नई देन के लिए विश्व-भर में सम्मानित किया जा रहा है।
इससे पहले भी उन्होंने अपनी पुस्तकों में सामाजिक न्याय पर विशद् चर्चा की है और इसके विभिन्न पक्षों पर विचार किया है। न्याय एक ऐसा आदर्श है जो आज भी जनसाधारण की पहुँच के बाहर है। यह भी विचारणीय है कि वर्तमान न्याय व्यवस्था में जीवन-मूल्यों की रक्षा और वृद्धि कहाँ तक हो पाती है। इस महत्त्वपूर्ण पुस्तक में विद्वान लेखक ने न्याय की विभिन्न परिभाषाओं-परिकल्पनाओं पर गंभीरता से विचार किया है और उनके मत में न्याय को अभी तक ठीक दिशा नहीं मिल पाई है। संसार के प्रसिद्ध विचारकों रूसो, कांट, लॉक, हॉब्स ने अपने-अपने समय में इस विषय पर विचार किया है और वे तत्कालीन नीतिकारों के विचारों से प्रभावित रहे हैं। इस पुस्तक में न्याय, विशेषकर सामाजिक न्याय के स्वरूप को परिभाषित करने का, विभिन्न दृष्टिकोणों से उसे परखने का प्रयत्न किया गया है।
एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण पुस्तक जो नई सोच के साथ न्याय की व्यवस्था के सभी पक्षों पर मौलिक विचार प्रस्तुत करती है। समीक्षकों की दृष्टि में यह पुस्तक इस संसार में अन्याय के विरुद्ध सार्थक आवाज़ उठाती है और न्याय की नई व्यवस्था की रूपरेखा प्रस्तुत करती है।
अर्थशास्त्र विशेषज्ञ डॉ. अमर्त्य सेन विश्व के प्रखर विचारक हैं। ग़रीबी, अकाल और विकास के आर्थिक पक्षों पर उनके अध्ययन और लेखन ने अन्तराराष्ट्रीय स्तर पर गहरा प्रभाव छोड़ा है। अर्थशास्त्र के साथ दर्शन भी अमर्त्य सेन का विषय रहा है और पिछले कुछ वर्षों में उनकी पुस्तकों में अर्थशास्त्र और दर्शन, दोनों का समावेश देखने को मिलता है।
वर्तामान में अमर्त्य सेन अमरीका में स्थित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में दर्शन और इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर हैं। वे 1998 से 2004 तक इंग्लैड की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के ट्रिनिटी क़ॉलेज में मास्टर रहे। 1998 में अर्थशास्त्र के नोबल पुरस्कार से इन्हें सम्मानित किया गया था।
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