औरतें 'औरतें' एक ऎसे सहज, सामान्य, उच्च शिक्षित, स्वयं व्यापार करके धनी बने व्यक्ति की कहानी है जो झगड़ालू बीवी से तालाक हो जाने के बाद हर रात कामवासना की अपनी स्वभाविक इच्छा की पूर्ती के लिए एक के बाद एक अनेक स्त्रियों से सम्बन्ध स्थापित करता है। उसका मानना है कि कामेच्छा ही सच्चे प्यार की मूल आवश्यकता है, और इस उद्देश्य से वह समाचारपत्रों में विज्ञापन देकर अपने लिए संगिनियों की तलाश करता है। 85-वर्षीय लेखक खुशवन्त सिहं के अनुसार 'औरतें' उनके दिवास्वप्न हैं, उनकी कल्पनाएं हैं, जिन्हें उन्होंने कलमबद्ध कर दिया है। इस अदभुत रूप से पठनीय उपन्यास में प्यार, कामेच्छा और जीवन के यथार्थ का अभूतपूर्व सम्मिश्र है।