भारत विभाजन की अंतः कथा - लेखक प्रियंवद Bharat Vibhajan Ki Antahkatha (Bharat Ke Vibhajan Par Ek Pramanik Pustak) By Priyamvad विभाजन किसी भी देश का नहीं होता, लोगो की भावनाओ का होता है। विभाजन का दर्द वे लोग ही सही तरह से जानते है जिन्होंने प्रत्यक्ष रूप से इसे सहा है। बटवारे के दौरान अपना घर बार छोड़ने, अपनों को खोने का दर्द आज भी उन्हें सालता है। आज़ादी के सुनहरे भविष्य के लालच में देश की जनता ने विभाजन का ज़हरीला घूंट पी तो लिया, पर इस सवाल का जवाब आज तक नहीं मिल पाया की क्या भारत का बटवारा इतना ही ज़रूरी था? आखिर ऐसे क्या कारन थे, जिनकी वजह से देश दो टुकड़ो में बात गया?