भय चिंता और क्रोध से मुक्ति
Bhay Chinta Aur Krodh Se Mukti (Hindi Book) By Sirshri
इंसान अपने अज्ञान में बहुत सारी प्रार्थनाएँ करता है, ईश्वर से बहुत से वरदान माँगता है। लेकिन सबसे बड़ा वरदान क्या हो सकता हे- दौलत का? अमर होने का? सिद्धि का? शक्ति प्राप्ति का? नहीं, ये वरदान तो संकीर्ण बुद्धि के प्रतिक हैं। सबसे मुख्य, सर्वश्रेष्ठ वरदान है- अभय, आनंद और शांति वरदान।
प्रस्तुत पुस्तक में भय, चिंता, क्रोध जैसे स्थूल विकारों से मुक्ति की युक्ति बताई गई है। भय यानी उन चीजों से डरना, जिनसे डरने की आवश्यकता नहीं है। उदा. अंधेरा, छिपकली, आग, पानी, लोग, ऊँचाई, स्टेज, मौत, भविष्य इत्यादी। ‘चिंता’ इन दो अक्षरों की गहराई में खोकर ही इंसान हर क्षण मिलनेवाले आनंद से वंचित होता है। क्रोध की धारा में क्षणभर में मनुष्य अपने वर्षों के श्रम, अनुभव और सफलताओं को नष्ट करता है।
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