बृहत् संहिता - डॉ.सुरेशचन्द्र मिश्र
Brihat Samhita (Hindi) by Dr. Sureshchandra Mishra
ज्योतिष के तीनो स्कन्धों सहित शाखा विद्वानो व् आचार्य का परीक्षा स्थान है। सहित ज्ञान के बिना जातक शाखा में पारंगत होते हुए भी मनुष्य दैवज्ञ नहीं होता। सहित पारगश्च दैवचिन्तको भवति। सहित ज्ञान के बिना ज्योतिष ज्ञान अधूरा व् पंगु है। ग्रहचार, उदय, अस्त, विभिन्न ग्रह, राशिया, उनसे देश प्रदेश व स्थान विशेष का एव संपूर्ण भूमण्डल का भविष्य कथन, आकाशीय उत्पात, धूमकेतु, उपकेतु, व विभिन्न विचित्र आकाशीय तत्वों के निरूपण के अतिरिक्त मेदिनीय भविषय स्वप्न शकुन, नर नारी शरीर लक्षण, तेजी, मंदी, रत्न परीक्षा, गाय, घोड़ा, हाथी आदि पालतू पशुओं के लक्षण, वास्तुकला, वृक्ष चिकत्सा, भूकम्प, उलकपात, आंधी-तूफ़ान की सूचना, प्रतिमा विधान का ज्योतिषीय विवेचन, मंदिर आदि अनेक उपयोगी विषयों का समावेश होने से आचार्य वराह की इस बृहत सहिता का पुरे विश्व में कोई सानी ग्रन्थ नहीं है। इसका एक-एक अध्याय एक-एक ग्रंथ की बराबरी करता है।
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