सकारात्मक सोच विकसित करने के मूल मंत्र - ताराचंद सरस्वती Sakaratmak Soch Vikasit Karne Ke Mool Mantra by Tarachand Saraswati व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास के लिए सकारात्मक सोच प्रेम, मदद और मुस्कान; दूसरों से अच्छा व्यवहार; ईमानदारी और सच्चाई; शांति और तनावमुक्ति; निडरता - ये सब सकारात्मक सोच बढ़ाने की सीढ़ियां हैं। जब से आपने केवल तीन दिन और एक ही समय पर यह तीन बार बोलकर कि 'मुझे सकारात्मक बनना है' सोच लिया तो समझ लीजिए कि सकारात्मकता ने आपके अंदर जन्म ले लिया है। जीवन में आर्थिक और करियर सम्बन्धी सफलता के साथ ही यदि किसी व्यक्ति को पारिवारिक, सामाजिक और आध्यात्मिक मोर्चें पर भी सफलता मिल जाए तो उसका जीवन सफल हो जाता है। इसी तरह की सफलता पाने के लिए व्यक्ति को सकारात्मक होना जरूरी है। सकारात्मकता या सकारात्मक सोच के लाभ के बारे में हम सभी जानते हैं, लेकिन असली प्रश्न यह उठता है कि सकारात्मकता होती क्या है और इसे प्राप्त कैसे किया जाए? यह पुस्तक इसी प्रश्न का सटीक जवाब देने का एक प्रयास है। पुस्तक न केवल यह बताती है कि सकारात्मकता क्या है और उसके लाभ क्या हैं, बल्कि यह भी बताती है कि सकारात्मक सोच को पाने के लिए क्या किया जाना चाहिए। इसी के साथ जीवन की विभिन्न विषम परिस्थितियों (जैसे निर्णय लेने में असमंजस, विफल हो जाना, संकट या विपत्ति का आना, हालात का बेकाबू हो जाना आदि) का सामना सकारात्मकता के ज़रिए कैसे किया जाए,यह भी इस पुस्तक के ज़रिए जानने को मिलता है। पुस्तक की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह पाठकों के जीवन में न केवल शांति और संतुष्टि लाने में मदद कर सकती है, बल्कि उन्हें जीवन के विभिन्न मोर्चों पर सफलता पाने में भी मददगार बन सकती है।