Sufi Sant Bulleshah Aur Unki Shayri by Rachna Bhola सूफी सत बुल्लेशाह और उनकी शायरी सूफी काव्य परंपरा में बुल्लेशाह का नाम बहुत ही आदर और मान से लिया जाता है। आज से वर्षों पूर्व सामाजिक कुरीतियों, धर्मो के आपसी विद्षों व कर्मकांडों के मध्य अपनी काफियों के माध्यम से जन-जागरण का संदेश देने वाले बाबा बुल्लेशाह आज भी हमारे हृदय में जीवित हैं। यद्यपि उन्होंने दोहों, बारहमाहों, सीहरफी व गंढों आदि की रचना भी की, किंतु वे अपनी कालजयी काफियों के माध्यम से ही जनसमुदाय में अपनी गहरी पैठ बनाए हुए हैं। संयोग, विरह, प्रेम की उत्कट अभिव्यक्ति, रहस्यवाद, उपदेश आदि के रंगों से सराबोर इन काफियों की मिठास वर्णनातीत है। हमारी जनश्रुतियों, मौखिक गाथाओं व स्थानीय मुहावरों के बीच चलते बुल्लेशाह को पलभर के लिए भुलाया नहीं जा सकता। आज भी उनकी वाणी उतनी ही प्रासंगिक व सार्थक है, जितनी कभी पहले रही होगी।