तत्त्वबोध सनातन धर्म का सार और सिद्धांत - राजेश बेंजवाल
Tatvabodh Sanatan Dharma Ka Saar Aur Siddhant (Hindi) By Rajesh Benjwal
तत्त्वबोध आपको वेदान्त की खूबसूरती, गहनता एवं विस्तृतता को समझने एवं सराहने में मदद करता है। - स्वामी दयानन्द सरस्वती आर्ष विद्या गुरुकुल के संस्थापक और अद्वैत वेदान्त के विश्वविख्यात गुरु जिसे आज हम हिन्दू धर्म कहते हैं, उसका मूल नाम सनातन धर्म है। सनातन संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ है, अनन्त अर्थात् जिसका न कोई आरम्भ है और न ही कोई अन्त। सनातन धर्म को पूरी तरह से समझने के लिए प्रकरण ग्रन्थों का अध्ययन करना ज़रूरी है, जिनमें से तत्त्वबोध सबसे महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है।
बहुत से लोगों का मानना है कि तत्त्वबोध के रचयिता आदिगुरु शंकराचार्य थे या फिर उन्हीं की परम्परा में उनके पश्चात् किसी पदवीधारी शिष्य ने इसकी रचना की है। प्रस्तुत ग्रन्थ को ऋषिकेश के आर्ष विद्या गुरुकुल के विश्वविख्यात गुरु स्वामी दयानन्द सरस्वती के शिष्य पंडित राजेश बेंजवाल ने हिन्दीभाषी पाठकों के लिए विशेष रूप से तैयार किया है। इसमें सनातन धर्म या जिसे हम वेदान्त भी कहते हैं, में मुख्य रूप से प्रयुक्त होने वाले महत्त्वपूर्ण शब्दों की बहुत सरलता और सहजता से व्याख्या की है। मूल पाठ के अतिरिक्त इसमें ऐसी भी जानकारियों का समावेश किया है जिससे न सिर्फ सनातन धर्म को पूरी तरह से समझना आसान होगा बल्कि उपनिषदों और गीता जैसे ग्रन्थों को समझने में भी सहायता मिलेगी।