पृथ्वीवल्लभ - कन्हैयालाल मानिकलाल मुंशी Prithvivallabh (Hindi Book) By Kanaiyalal Munshi प्रख्यात गुजराती साहित्यकार कन्हैयालाल मानिकलाल मुंशी रचित ‘पृथ्वीवल्लभ’ एक ऐतिहासिक उपन्यास है। इसका समय दसवीं सड़ी ईस्वी का अंतिम दशक – ९९४ ई. - है। यह वह समय है जब आन्ध्र प्रदेश के मान्यखेट को केंद्र बनाकर चालुक्यवंशी तैलप अपना विशाल साम्राज्य खड़ा करने के लिए जी-जान से जुटा था और इधर ‘पृथ्वीवल्लभ’ के विरुद से विभूषित परमारवंशी मुंज अवंती को केंद्र बनाकर मालव साम्राज्य खड़ा करने के लिए प्रयत्नशील था। स्वाभाविक ही दोनों सामंतों का टकराव होना था और वह हुआ। तैलप की समस्या यह थी कि चोल, चेदी, पंचाल और राष्ट्रकूट राजाओं को अपने आधीन करके तथा गुजरात तक साम्राज्य विस्तार करके भी वह मालवराज मुंज को दबा नहीं पा रहा था। सोलह बार उसे मुंज से पराजित होना पड़ा था। किन्तु सत्रहवीं बार? ...... इतिहास में किसी ‘किन्तु’ का कोई सीधा उत्तर नहीं होता। युद्धक्षेत्रों, राजमार्गों, कारागारों, सुरंगों के रास्ते मह्तावाकंक्षायें परस्पर टकराती हैं, दुरभिसंधियाँ, प्रतिशोध, प्रेम और घृणा जैसी मानवीय प्रवृतियाँ अपने विविध रूप दिखाती हैं। कभी प्रेम की विजय होती है और कभी घृणा से आवेष्ठित महत्वाकांक्षा की। इतिहास चक्र इसी तरह से गतिमान रहता है।