वायुपुत्रों की शपथ - आमिश
यह शिव नाम के एक कबाइली हीरो की कहानी है, जो इंसान से भगवान तक का सफर तय करता है। शिव यहां अपनी पौराणिक गाथा से अलग एक नए एडवेंचर में दिखते हैं। कहानी में जबर्दस्त ड्रामा, सस्पेंस, एंटरटेनमेंट और झटकेबाजी है, जो पाठक को बांधे रखती है। लेकिन कहानी का वक्त आज का नहीं, हजारों बरस पहले का है, जब भारत में भगवान राम का बनाया हुआ मेलुहा साम्राज्य हुआ करता था। यानी यह शिव की मॉडर्न कथा नहीं है। इसे एक नया पुराण या मिथक कहा जा सकता है। शिव अपनी शक्तिया जुटा रहा है। वह नागाओ की राजधानी पंचवटी पहुचता है और अंततः बुराई का रहस्य सामने आता है। नीलकंठ अपने वास्तविक शत्रु के विरुद्ध धर्मा युद्ध की तैयारी करता है। एक ऐसा शत्रु जिसका नाम सुनते ही बड़े से बड़ा योद्धा थर्रा जाता है। एक के बाद एक होने वाले नृशंश युद्ध से भारतवर्ष की चेतना दहल उठेगी। ये युद्ध भारत पर हावी होने का षड्यंत्र है| अपने साहस से वह वायुपुत्र तक पहुचता है, जो अब तक उसे अपनाने को तैयार नहीं थे। क्या वह सफल हो पायेगा? और बुराई से लड़ने का क्या मूल्य चुकाना पड़ेगा भारतवर्ष को? और शिव की आत्मा को?