Aksharo Ke Saye (Amrita Pritam Ki Atmakatha) By Amrita Pritam
बीस वर्ष पूर्व प्रकाशित ‘रसीदी टिकट’ के बाद अमृता प्रीतम की यह एक और आत्मकथा न केवल उनके आज तक के समग्र जीवन को अपने कथावृत्त में समेटती है, बल्कि एक बिलकुल नये, अध्यात्म से जुड़े धरातल पर उसका विवरण प्रस्तुत करती है। घर, समाज, मजहब और सियासत के नाम पर... दरो-दीवार पर जो साये लिपटते रहे-कुछ उनकी बात करती यह पुस्तक-एक उस मुकाम पर पहुंचती है-जहां अन्तर्चेतना के साये अक्षरों में उतरते हैं-चेतना का नादमय होना अक्षरों में ढलता नहीं-फिर भी उसकी बात करते हुए यह कुछ पृष्ठ हैं