Kasturi Kundal Basai By Osho
कस्तूरी कुण्डल बसै - ओशो कबीर ने बड़ा प्यारा प्रतिक चुना है । जिस मंदिर की तुम तलाश कर रहे हो , वह तुम्हारे कुण्डल में बसा है ; वह तुम्हारे ही भीतर है ;वह तुम ही हो । और जिस परमात्मा ककी तुम मूर्ति गढ़ रहे हो,उसकी मूर्ति गढ़ने की कोई ज़रूरत ही नहीं;तुम ही उसकी मूर्ति हो । तुम्हारे अंतर - आकाश में जलता हुआ उसका दिया ,तुम्हारे भीतर उसकी ज्योतिमयी छवि मौजूद है ।